फेफड़े में गांठ होना: कारण, लक्षण और उपचार

फेफड़ों में गांठ (Lung Nodule) एक सामान्य चिकित्सकीय स्थिति है, जो अक्सर इमेजिंग टेस्ट जैसे कि एक्स-रे या सीटी स्कैन के दौरान अनजाने में सामने आती है। यह गांठ आमतौर पर एक छोटा, गोल या अंडाकार आकार का धब्बा होता है जो फेफड़ों के ऊतकों में दिखाई देता है।

अधिकांश मामलों में, ये गांठें सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) होती हैं और किसी गंभीर बीमारी का संकेत नहीं देतीं। हालांकि, कुछ मामलों में ये गांठें कैंसर की भी संकेतक हो सकती हैं। इसलिए, इनका सही समय पर पता लगाना और उनका मूल्यांकन करना अत्यंत आवश्यक है।

फेफड़ों में गांठ बनने के संभावित कारण

  1. संक्रमण (Infections):
    संक्रमण जैसे कि ट्यूबरकुलोसिस (टीबी), फंगल इंफेक्शन या निमोनिया के बाद फेफड़ों में सूजन आ सकती है। यह सूजन ही बाद में गांठ का रूप ले सकती है।
  2. सूजन संबंधी रोग (Inflammatory Diseases):
    सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis) और रूमेटॉइड गठिया जैसी बीमारियाँ, जो शरीर में सूजन उत्पन्न करती हैं, फेफड़ों में गांठों का कारण बन सकती हैं।
  3. निशान ऊतक (Scar Tissue):
    पहले हुए किसी संक्रमण या चोट के कारण फेफड़ों में निशान ऊतक विकसित हो सकता है, जो इमेजिंग में गांठ की तरह दिखाई देता है।
  4. कैंसर (Cancer):
    यह सबसे गंभीर कारण हो सकता है। गांठ प्राथमिक फेफड़ों के कैंसर (Primary Lung Cancer) का हिस्सा हो सकती है, या यह शरीर के किसी अन्य हिस्से से फेफड़ों में फैले मेटास्टेटिक कैंसर का परिणाम भी हो सकती है।

फेफड़ों में गांठ के सामान्य लक्षण

कई बार फेफड़ों में गांठ होने पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते और ये नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान संयोगवश सामने आती हैं। फिर भी कुछ संभावित लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • सांस लेने में तकलीफ:
    बड़ी गांठ या कैंसरयुक्त गांठ फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है, जिससे सांस फूलने की समस्या हो सकती है।
  • लगातार खांसी या खांसी में खून आना:
    यदि गांठ किसी नली को अवरुद्ध कर रही हो या कैंसर के कारण हो, तो व्यक्ति को खांसी हो सकती है। खांसी में खून आना गंभीर संकेत हो सकता है।
  • सीने में दर्द:
    कुछ लोगों को गांठ के कारण छाती में हल्का दर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है।
  • बुखार या थकान:
    अगर गांठ किसी संक्रमण या सूजन के कारण बनी हो, तो शरीर में हल्का बुखार या थकान हो सकती है।

फेफड़ों में गांठ की पहचान कैसे होती है?

इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests):

  • एक्स-रे (X-Ray):
    यह सबसे पहला और सामान्य परीक्षण होता है, जिसमें फेफड़ों की संरचना देखी जाती है।
  • सीटी स्कैन (CT Scan):
    एक्स-रे से ज्यादा सटीक जानकारी देने वाला यह परीक्षण गांठ के आकार, स्थान और बनावट को विस्तार से दिखाता है।
  • एमआरआई (MRI):
    यह बहुत ही संवेदनशील तकनीक है, जिसका उपयोग जटिल मामलों में किया जाता है।

बायोप्सी (Biopsy):

अगर डॉक्टर को गांठ कैंसरयुक्त लगती है, तो गांठ का एक नमूना लेकर प्रयोगशाला में उसकी जांच की जाती है। यह प्रक्रिया सुई द्वारा या ब्रोंकोस्कोपी के ज़रिए की जा सकती है।


पीईटी स्कैन (PET Scan):

इस टेस्ट से यह पता चलता है कि गांठ सक्रिय (कैंसर जैसी गतिविधि वाली) है या निष्क्रिय।

फेफड़ों में गांठ का उपचार

निगरानी (Observation):

अगर गांठ छोटी है (आमतौर पर 6 मिलीमीटर से कम) और उसमें कोई कैंसर के लक्षण नहीं हैं, तो डॉक्टर इसे केवल निगरानी में रखने की सलाह देते हैं। इसके लिए हर 3–6 महीने में सीटी स्कैन कराकर उसकी स्थिति देखी जाती है

सर्जरी (Surgery):

यदि गांठ बड़ी है, कैंसर की पुष्टि हो चुकी है, या तेजी से बढ़ रही है, तो उसे सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है। इसमें लॉबेक्टोमी (Lobectomy), वेज रेजेक्शन (Wedge Resection) आदि प्रक्रियाएं शामिल हैं।

विकिरण और कीमोथेरेपी:

यदि गांठ कैंसर के कारण है और ऑपरेशन संभव नहीं है, तो रेडिएशन और कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है।

फेफड़ों में गांठ से जुड़े जोखिम कारक

  • धूम्रपान:
    यह फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। धूम्रपान करने वाले लोगों में गांठ कैंसरयुक्त होने की संभावना अधिक होती है।
  • उम्र:
    50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में गांठ कैंसरयुक्त होने की संभावना अधिक होती है।
  • पारिवारिक इतिहास:
    अगर परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर रहा हो, तो सतर्क रहना ज़रूरी है।

निष्कर्ष

फेफड़ों में गांठ का पाया जाना डरावना हो सकता है, लेकिन हमेशा यह कैंसर का संकेत नहीं होता। अधिकांश गांठें सौम्य होती हैं और समय के साथ बिना किसी इलाज के गायब भी हो सकती हैं। फिर भी, गांठ का सही मूल्यांकन और नियमित जांच बहुत आवश्यक होती है ताकि किसी गंभीर बीमारी को समय रहते रोका जा सके।

अगर आपको या आपके किसी परिचित को फेफड़ों में गांठ की जानकारी मिली है, तो घबराएं नहीं, बल्कि विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें और सुझाए गए जांच व उपचार प्रक्रिया का पालन करें।

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